World No Tobacco Day 2020: धूम्रपान और कोविड-19 का मेल है जानलेवा

World No Tobacco Day 2020: धूम्रपान और कोविड-19 का मेल है जानलेवा

नरजिस हुसैन

कोविड-19 इस वक्त दुनिया के 188 देशों को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले चुका है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के अलावा डॉक्टरों किसी भी तरह का धुप्रपान करने वालों को घरों के अंदर ही रहने की सलाह दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्युएचओ) के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्टस ने 29 अप्रैल, 2020 में एक अध्ययन के दौरान यह पाया कि धुम्रपान करने वाले लोग कोविड-19 के सबसे तेजी से शिकार होते हैं। क्योंकि किसी भी तरह (सिगरेट, सिगार, ई-सिगरेट, तंबाकू, गुटका, पान, खैनी वगैरह) से तंबाकू खाने वालों का श्वसन तंत्र यानी रेसपाइरेटरी सिस्टम नॉन स्मोकरर्स की तुलना में काफी कमजोर होता है। रेसपाइरेटरी सिस्टम में कमजोरी आगे चलकर फेफड़ो के कैंसर का सबब बनती है। आज कोरोना महामारी के बीच वलर्ड नो टोबैको डे, 2020 के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी से खासकर दुनियाभर के युवाओं से तंबाकू या उससे बनी किसी भी चीज से दूर रहने की अपील कर रहा है।

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इस बीच अलग-अलग शोध और मीडिया के जरिए दुनिया में यह बात भी फैलाई जा रही है कि धूम्रपान करने से कोरोना वायरस मर जाता है। इसलिए तंबाकू सेवन, निकोटिन सेवन और कोविड-19 में आपस में कोई रिश्ता है भी कि नहीं इसे जानने के लिए डब्ल्यूएचओ लगातार रिसर्च कर रहा है। संगठन ने शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और मीडिया से भी अपील की है कि जब तक यह तथ्य साबित नही हो जाता ऐसी किसी भी बात का प्रचार और प्रसार न किया जाए जिससे लोग बहके।

लेकिन, उधर चीन ने 1,099 कोरोना पॉजिटव पर अध्ययन कर फरवरी 2020 में ही इस बात का सुबूत दे दिया था कि इन मरीजों में सभी आईसीयू में रहे और 25.5 प्रतिशत कोरोना के मरीज धुम्रपान करते थे। यहां डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का साफतौर पर यह मानना है धू्म्रपान करने वालों के शरीर में सिलिया नाम की एक कोशिका जो शवसन तंत्र में किसी भी तरह का कचरा या फेफड़ो तक कोई भी संक्रमण आने से रोकती है। लगातार स्मोकिंग करने से सिलिया नष्ट हो जाती है। और इसीलिए धूम्रपान करने वालों को कोरोना होने का डर बाकी लोगों से कहीं ज्यादा हो जाता है।

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कोविड-19 एक संक्रमित बीमारी है जो सीधे फेफड़ो पर हमला करती है। फिलहाल, भारत में कुल धूम्रपान करने वाले लोगों की आबादी में अकेला तंबाकू ही आधी आबादी की जान लेता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल देश में 70 लाख लोग तंबाकू के सेवन से मरते हैं जबकि दुनिया में 80 लाख की आबादी तंबाकू खाने से मरती है। हालांकि, देश में करीब 12 लाख नॉन-स्मोकर्स लोग ऐसे भी हैं जो सीधोतौर पर तंबाकू खाने से नहीं मरते। यानी ये लोग पैसिव या सेकेंड हैंड स्मोकर्स होते हैं। यह भी बहुत फ्रिक की बात है कि दुनिया की कुल आबादी का 80 फीसद तंबाकू खाने वाले मध्यम और गरीब देशों में रहते है। जहां पहले ही तंबाकू जनित बीमारियों से मरने वालों का आंकड़ा काफी ज्यादा है। तंबाकू की आदत और बाद में लत किसी भी घर और देश में गरीबी लाती है।   

कोविड-19 एक संक्रमित बीमारी है और तंबाकू गैर संक्रमित बीमारियों जैसे- कैंसर, दिल की बीमारी, सांस की तकलीफ, डायबिटीज के लिए भी एक बड़ी परेशानी है जो कोरोना वायरस के संपर्क में आने से जानलेवा बन जाती है। फिलहाल, अब तक कि जो भी पुख्ता रिसर्च है उनसे यही पता चलता है कि तंबाकू का सेवन कोरोना वायरस का खतरा दोगुना कर देता है। इसलिए डब्ल्यूएचओ के साथ दुनिया की सभी सरकारों खासकर गरीब देशों की सरकारों को हाथ मिलाकर चलना ही होगा नही तो कोरोना से आजादी मिलनी में कई साल और लग सकते हैं।

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डब्ल्यूएचओ ने इस साल का थीम युवाओं और बच्चों को तंबाकू सेवन से बचाना तय किया है। इसके लिए संगठन ने एक 13-17 साल के स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए एक स्कूल किट भी 29 मई को लांच की जिसमें तंबाकू कंपनियों की बच्चों को ग्राहक बनाने के लिए बहकाने वाली बातों के बारे में जानकारी दी गई है। इस किट में अलग-अलग एक्टिविटी, वीडियो, क्विज वगैरह से भी जागरुकता बच्चों को देने की कोशिश की गई है। कई देशों में इस महामारी के दौर में भी तंबाकू कंपनियां अपने सामान को जरूरी सामानों में सूची में शामिल कराने के लिए सरकारों पर दबाव बना रही है ताकि तंबाकू का सेवन करने करने वालों के दरवाजे तक इसे पहुंचाया जा सके और उनका मुनाफा बनता रहे। इसलिए हमें खुद को, बच्चों और युवाओं को इस धीमे नशे से बचाना होगा जैसे राजस्थान ने किया। इस वजह से 2019 में डब्ल्यूएचओ ने राजस्थान के मेडिकल और हेल्थ विभाग को उसके तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के लिए विशेष पुरुस्कार से नवाजा।

 

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